गंगा दशहरा का महत्त्व क्या है?

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गंगा दशहरा का चित्र | सोर्स : टाइम्सनाउ हिन्दी

Importance of Ganga Dussehra: भारत देश में सनातन धर्म में बहुत तरीके के त्योहार होते है या यूं कहे कि हर दिन एक त्योहार ही होता है तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी। इस धर्म में गंगा नदी का बहुत ही महत्त्व है। इस नदी को माँ का दर्जा दिया हुआ है और साथ में यह भी कहा गया है कि इस नदी में स्नान करने मात्र से ही इंसान में व्याप्त सारी बुराई माफ हो जाती है। मतलब कि उनके पापों को धो दिया जाता है।

जब भागीरथ जी ने जिस दिन गंगा नदी को धरती पर लाये उस दिन को हर साल एक पर्व की तरह मनाया जाता है और इस पर्व का नाम गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) के नाम से जानते है। आज के इस लेख में मैं आपको बताऊंगा कि गंगा दहशरा होता क्या है, इस दिन क्या किया जाता है और ऐसा क्या काम करें जिससे आपको लाभ भी मिले। तो चलिये लेख की शुरुआत करते है।

गंगा पूजा | सोर्स : पत्रिका
गंगा पूजा | सोर्स : पत्रिका

गंगा दशहरा होता क्या है?

पुराणों के अनुसार हिन्दू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने की दशमी को हस्त नक्षत्र में गंगा माँ धरती पर अवतरित हुई थी, इसलिए गंगा का धरती पर आने के पर्व को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल मनाया जाता है और इस साल यह 20 जून 2021 को मनाया जाएगा।पुरानी मान्यता के अनुसार गंगा इंसान के मन,वाणी और शरीर द्वारा होने वाले दस प्रकार के पापों का नाश करती है। भागीरथ ने घोर तपस्या करके गंगा को अपने पूर्वजों की आत्मा को उद्धार करने के लिए धरती पर लाये थे, इसलिए गंगा को भागीरथी भी कहते है।

गंगा माँ का इतिहास

विष्णु जी के अंगूठे से निकली गंगा को शिव शंकर अपने मस्तक पर धारण करने के लिए विष्णु से कहते है कि हे विष्णु! ब्राह्मणों के श्राप से त्रस्त जीवों को गंगा के सिवा और कोई भी स्वर्गलोक में नहीं पहुंचा सकता है, क्योंकि गंगा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को देने वाली शक्ति स्वरूप है। इसके साथ देवी गंगा विद्यास्वरूप, शुद्ध, पवित्र, दैहिक, दैविक तथा भौतिक तापों का शमन करती है।

इसलिए मैं धर्मस्वरूपणी, जगत्धात्री, ब्रह्मस्वरूपणी और आनंदमयी देवी गंगा को अपने मस्तक पर धारण करना चाहता हूँ और हे विष्णु! जो भी गंगा जी के जल का सेवन करेगा उन्हे सारे तीर्थों में सनना किया हुआ, सभी यज्ञों से दीक्षा लिया हुया और सारे व्रतों का अनुष्ठान किया हुआ मान लिया जाएगा।

शास्त्रों के अनुसार बिना किसी छल और निस्वार्थ भाव से गंगा जी के दर्शन मात्र से ही मनुष्यों के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। संस्कृत में एक श्लोक है गंगे तव दर्शनात: मुक्ति: इसका अर्थ यही है निष्कपट भाव से आये हुये इंसान को उनके कष्टों से मुक्ति मिलनी आसान है।

कहा जाता है कि पाठ, यज्ञ, मंत्र, होम और देवार्चन आदि समस्त शुभ कर्मों से भी जीव को वह गति नहीं मिलती है जो गंगा जल के सेवन करने मात्र से ही प्राप्त हो जाती है। गंगा जल के स्पर्श मात्र से ही स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है और दूर से श्रद्धा पूर्वक गंगा माँ का स्मरण करने से इंसान के अनेक प्रकार के संतापों से छुटकारा मिल जाता है।

गंगा स्नान | सोर्स: न्यूज़ट्रैक इंग्लिश
गंगा स्नान | सोर्स: न्यूज़ट्रैक इंग्लिश

गंगा दशहरा का मुहूर्त

गंगा दशहरा कब है20 जून 2021, रविवार
दशमी तिथि का आरंभ19 जून 2021, शनिवार को शाम 6 बजकर 50 मिनट पर
दशमी तिथि का समापन20 जून 2021, रविवार को शाम 4 बजकर 25 मिनट पर

गंगा दशहरे के दिन कैसे पूजा करें

इस दिन गंगा माँ की पूजा करने की विधि जैसे बता रहे है वैसे ही करें, जिससे आपको और आपके परिवार वालों के लिए यह पूजा शुभ हो।

सबसे पहले सुबह सूरज के उगने से पहले यानि सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी में स्नान करना है, हालांकि अभी कोरोना काल के चलते नदियों में स्नान करने की अनुमति नहीं है तो घबराने की कोई बात नहीं है।

अपने घर में नहाने के पानी के साथ थोड़ा सा गंगा जल मिला ले और फिर उस पानी से स्नान कर लेवे। उसके बाद धुले हुये एक दम साफ कपड़े पहन कर सूर्योदय के समय एक तांबे के लोटे में पानी लेकर उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलकर सूरज भगवान को अर्घ्य देवें।

गंगा आरती | सोर्स: फेस्टिवल ऑफ इंडिया
गंगा आरती | सोर्स: फेस्टिवल ऑफ इंडिया

अर्घ्य देते समय माँ गंगा का ध्यान करते हुये गंगा के मंत्रों का जाप करना है। भगवान विष्णु द्वारा बताया गया मंत्र ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिण्यै नारायण्यै नमो नम: को याद करने से परम पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ एक और मंत्र ॐ श्री गंगे नम: का भी जाप करें इससे गंगा मैया के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है। इसके बाद माँ गंगा की आरती करें और गरीब, जरूरतमंद ब्राह्मणों को अपने अनुसार दान देवे।

मान्यता है कि गंगा दशहरे के दिन गंगा नदी में स्नान और दान करने से कई महायज्ञों के फल के बराबर फल की प्राप्ति होती है और पाप कर्मों का नाश होता है। इसके साथ व्यक्ति को मरने के बाद मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

कलयुग में काम, क्रोध, मद, लोभ और ईर्ष्या आदि अनेक विकारों का जड़ सहित नाश करने में गंगा के समान और कोई भी नहीं है। अगर व्यक्ति सच्चे मन से इन विकारों से छुटकारा पाना चाहता है तो गंगा में श्रद्धा के साथ डुबकी लगाएँ सब से छुटकारा मिल जाएगा।

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