Masoom Review: ‘मासूम’ सच होता तो एक ही है, फिर हर देखने वाला उसे अपने नजरिये से क्यों देखता है?

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पिछले दो सालों से बोमन ईरानी (Boman Irani) ने फिल्मों में अभिनय का काम बिलकुल नहीं के बराबर किया है. इस साल उनकी दो-तीन फिल्में रिलीज ही हुई – 83 (फारोख इंजीनियर) जयेश भाई जोरदार (पृथ्वीश) रनवे 34 (निशांत सूरी). इसकी वजह अच्छे रोल का ना मिलना ही रही होगी. अब बोमन ईरानी ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दस्तक दी है हालिया रिलीज वेब सीरीज “मासूम” (Masoom) से. 44 साल की उम्र में अभिनय के करियर की शुरुआत करने वाले बोमन अपनी उम्र के 63वें साल में एक बार फिर अपने अभिनय से सबको चौंका देंगे ये इस वेब सीरीज का वादा है. पंजाब की पृष्ठभूमि पर बसी इस वेब सीरीज में बोमन एक डॉक्टर बने हैं, जिनके परिवार के सदस्यों के आपसी सम्बन्ध हर एपिसोड के तनाव की वजह बनते हैं. मासूम एक बहुत ही कड़वी दवा के समान है इसलिए इस मनोवैज्ञानिक सीरीज को सोच समझ कर देखें. इसकी कहानी थोड़ी धीमे धीमे चलती है और दृश्य संरचना दिमाग पर भारी पड़ती है.

ब्रिटेन के चैनल 5 के लिए सोफी पेटजेल ने 2018 में एक सीरीज लिखी थी – ब्लड. इस सीरीज का भारतीय रूपांतरण है रिलायंस एंटरटेनमेंट और नमित शर्मा द्वारा निर्मित वेब सीरीज – मासूम. इस वेब सीरीज के निर्देशक हैं मिहिर देसाई जिनकी वेब सीरीज मिर्ज़ापुर ने ओटीटी के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है. टेलीविज़न के लेखक सत्यम त्रिपाठी (शौर्य और अनोखी कहानी, हिटलर दीदी, एक मुट्ठी आसमान) ने इस वेब सीरीज को पंजाबियत की रूह दी है. मिहिर देसाई के साथ मिर्ज़ापुर में काम कर चुकी गीत लेखिका गिन्नी दीवान ने मासूम में कुछ बहुत खूबसूरत गीत और कविताओं को रचा है. उभरते हुए संगीतकार आनंद भास्कर ने इन गीतों को सुर दिए हैं लेकिन आनंद ने मासूम के लिए जो बैकग्राउंड म्यूजिक रचा वो उनकी बेहतरीन प्रतिभा का छोटा सा परिचय है. इनसाइड एज और लव हॉस्टल के सिनेमेटोग्राफर विवेक शाह ने अपने कैमरे में वो पंजाब कैद किया है जो सरसों के खेत, भंगड़ा, लस्सी और ड्रग्स की दुनिया से परे है. मिर्ज़ापुर में मिहिर देसाई के साथ काम कर चुके मनन मेहता की कैंची ने मासूम से धागा धागा कर के मासूमियत की एडिटिंग की है.

डॉक्टर बलराज (बोमन ईरानी) की सबसे छोटी बेटी निकी (समारा तिजोरी) अपने गांव लौटती है क्योंकि उसकी मां गुणवती (उपासना सिंह) की, जो कई सालों से बिस्तर पर पड़ी है, रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो जाती है. निकी का शक अपने पिता पर होता है क्योंकि एक के बाद एक ऐसी घटनाएं होती रहती हैं जिससे उसका शक गहराने लगता है. निकी का बड़ा भाई एक गे है और उसकी बड़ी बहन का अपने पति से झगड़ा हो रखा है और साथ ही डॉक्टर बलराज का एक नर्स के साथ अफेयर चल रहा है. इस वजह से निकी को बार बार अपने पिता पर शक होता रहता है. एपिसोड दर एपिसोड कई पुरानी घटनाओं को याद करते करते और अपने पिता की हरकतों को देख कर निकी अपनी मां की हत्या के लिए अपने पिता को दोषी ठहरना चाहती है, लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसा मोड़ लेती हैं कि बोमन उसके सामने स्वीकार करते हैं कि उसकी माँ की हत्या उन्होंने ही की थी. सीजन 2 की गुंजाईश के साथ पहला सीजन ख़त्म किया गया है.

तूफानी अभिनेता हैं बोमन ईरानी
बोमन ईरानी एक तूफानी अदाकार हैं. उनका अभिनय कई आयाम लिए हुए है. एक तरफ वो एक डॉक्टर बने हैं जो आर्थिक तंगी से गुज़र रहे हैं, वहीं वो अपनी छोटी बेटी की निगाह में कातिल हैं, वो अलग चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रहे हैं, उनकी एक प्रेमिका भी है. बोमन कभी खड़ूस तो कभी रूखे तो कभी खूंखार तो कभी संदेहास्पद किरदार वाले तो कभी पत्नी-प्रेमी बनते हैं. प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक दीपक तिजोरी की बेटी समारा तिजोरी ने भी बड़ा अच्छा अभिनय किया है. इसके पहले उन्हें अभिषेक बच्चन अभिनीत फिल्म बॉब बिस्वास में देखा गया था. उनके किरदार में भी कई तरह के शेड्स हैं. परिवार द्वारा बचपन से उन्हें झूठा करार दिया जा चूका है इसलिए वो दवाइयां लेती रहती हैं. समारा कभी भी अपने किरदार से नाइंसाफी नहीं करतीं. अपने पिता से वो बचपन से ही नाराज रहती है और ये नाराजगी अलग अलग तरीके से जाहिर करती रहती है.

मां की शोक सभा में पढ़ी मां की लिखी कविता
अपनी मां की शोक सभा में जब वो मां की लिखी कविता पढ़ती है, दर्शकों को हिला देती हैं. आखिरी एपिसोड के भावनात्मक दृश्यों में भी उनका रोना सहज लगता है. एक बार के लिए उपासना सिंह को संजीदा भूमिका में देखना अजीब लगता है लेकिन उन्होंने बिस्तर पर बरसों से बीमार पड़ी पत्नी और मां की भूमिका में दिखा दिया कि वे सिर्फ हास्य किरदार से परे भी कुछ अलग कर सकती हैं. मंजरी फडनिस, वीर राजवंत सिंह के अलावा इंस्पेक्टर की भूमिका में मनु ऋषि चड्ढा को देखने का अपना मज़ा है. ऐसा लग रहा है कि अगले सीजन में वे काफी अहम् भूमिका निभाएंगे. पहले ही दृश्य में मनु को जब पता चलता है कि सना, डॉक्टर बलराज और गुणवंती की बेटी है, तो उनके सुर बदल जाते हैं. एक ही पल में कड़क इंस्पेक्टर से अपनी गाडी पर सना को घर छोड़ने वाले पुलिसवाले का रोल मनु ऋषि के कद के ही कलाकार कर सकते हैं.

मासूम की खासियत
मासूम की खासियत है उसकी कहानी जो कि सोफी पेटज़ेल ने लिखी है. एक भी दृश्य अजीब नहीं लगता और हर दृश्य की आवश्यकता सिद्ध होती रहती है इस वजह से धीमी रफ़्तार भी बुरी नहीं लगती. लेखक सत्यम त्रिपाठी मूलतः टीवी के सीरियल लिखते हैं इसलिए कई जगह डायलॉग भरे पड़े हैं जब कि कैमरा उसे बिना डायलॉग के बयान कर सकता है. पंजाब का फलौली गांव भी बड़ी खूबसूरती से परदे पर उतरा गया है और इस वजह से कभी नहीं लगता कि ये एक आयरिश वेब सीरीज का भारतीय अडाप्टेशन है.

पूरे समय परदे पर तनाव बना रहता है क्योंकि हर बार ऐसा लगता है कि बोमन ईरानी का रहस्य अब खुला या तब खुला लेकिन शक के बादल आखिर तक नहीं बरसते. गिन्नी दीवान की कविताएं एक बार और याद दिलाती हैं कि पंजाब की मिटटी के गीतों में शराब, लडकियां, गोली बारी, मार पीट और ब्रांड्स के नामों के अलावा सौंधी खुशबू है रिश्तों की, दिल को छूने वाले भावों की।

विदेशी वेब सीरीज या फिल्मों के भारतीय एडाप्टेशन में सबसे जरूरी बात होती है मूल कहानी की आत्मा को भारतीय परिवेश के शरीर में बिना बाधा के शामिल करना. मासूम ये काम अच्छे से कर पायी है. स्क्रीन पर होती घटनाओं से तनाव तो बना है लेकिन एक हद के बाद सस्पेंस की वजह से दर्शक खीजने लगते हैं. रफ़्तार इस सीरीज की एक बड़ी समस्या बन सकती है क्योंकि दर्शक इतनी देर तक एक ही कहानी पर टिक के नहीं रह सकते और मासूम में तो कोई सह-कहानी भी नहीं है. ये सब नज़रअंदाज़ कर सकें तो मासूम एक अच्छी वेब सीरीज है इसे देख सकते हैं. हालांकि पिछले दो हफ्तों में अलग-अलग ओटीटी प्लेटफॉर्म पर काफी कॉन्टेंट रिलीज किया गया है इसलिए शायद मासूम को वो सफलता न मिले तो डिज्नी+हॉटस्टार की दूसरी सीरीज को मिला है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

आनंद भास्कर/5

Tags: Entertainment, Review, Web Series

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