ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की दृष्टि कमजोर शुक्र पर हो तो यह स्थिति उस व्यक्ति को ब्लड शुगर की परेशानी दे सकती है. इससे शरीर कमजोर और यौन इच्छा में कमी हो सकती है. दांपत्य जीवन में सुख के लिए ज्योतिषीशास्त्र में शुक्र की भूमिका महत्वपूर्ण मानी गई है. शुक्र नीच का हो या अस्त होकर कुंडली के बारहवें, चौथे और सातवें घर में बैठा हो तो व्यक्ति को दांपत्य जीवन में परेशानी होती है. ऐसे लोग किन्हीं कारणों से यौन सुख में कमी महसूस करते हैं.
मानव शरीर और शुक्र : शुक्र का सबसे अधिक प्रभाव, आंखों, नाक,ठुड्डी, कान, गर्दन, लिंग और शुक्राणु पर माना जाता है. कुंडली के पहले घर का स्वामी ग्रह यानी लग्नेश अगर कुंडली में सातवें घर में बैठा हो और उस पर चौथे घर के स्वामी ग्रह की दृष्टि हो तो दांपत्य जीवन बहुत ही अच्छा रहता है. इन्हें भौतिक सुख भी खूब प्राप्त होता है.
संतान प्राप्ति में बाधा और ज्योतिष : व्यक्ति की कुंडली में सातवें घरा का स्वामी शुक्र हो और घर में शनि और राहु भी हों तो इन दोनों ग्रहों की दृष्टि के प्रभाव से ऐसे व्यक्ति में शुक्राणु की कमी होती है, जिससे संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है.
ज्योतिष और एड्स रोग : व्यक्ति की जन्मकुंडली में आठवें घर में घर के स्वामी के साथ शुक्र, शनि, राहु और मंगल हों तो ऐसे व्यक्ति को एड्स होने की आशंका रहती है. इस तरह की ग्रह स्थिति में व्यक्ति को मर्यादित रहना चाहिए और सेहत के मामले में अधिक सजग होना चाहिए. ज्योतिष संभावनाओं को बताता है जिसे सावधानी से टाला भी जा सकता है.
ज्योतिष और यौन रोग : माना जाता है कि वृश्चिक राशि का प्रभाव व्यक्ति के गुप्तांग पर होता है. अगर व्यक्ति की कुंडली में वृश्चिक राशि दूसरे, छठे या आठवें घर में हो और इन पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो ऐसे व्यक्ति को यौन रोग होने की आशंका रहती है.
रत्न भी हैं लाभकारी : शुक्र की खराब स्थिति के कारण यौन रोग और नि:संतानता की स्थिति से जूझ रहे व्यक्ति को फिरोजा रत्न धारण करना चाहिए. फिरोजा के अतिरिक्त हीरा, जर्कन और गोमेद भी धारण कर सकते हैं. लेकिन सबसे अधिक जरूरी है कि आप किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी को अपनी कुंडली अवश्य दिखाएं .
विवाह से एक साल तक ना धारण करें हीरा रत्न : हीरा शुक्र का रत्न है जिसका प्रचलन आजकल विवाह में अधिक होने लगा है. लोग दुल्हन को सगाई में हीरे की अंगूठी पहनाने लगे हैं. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह ठीक नहीं है. इससे संतान प्राप्ति में बाधा आती है.
ज्योतिष के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सातवें घर का स्वामी शुक्र हो और उस घर में शनि और राहु भी हों, तो इन दोनों ग्रहों की वजह से शुक्राणुओं की कमी हो सकती है. इससे संतान प्राप्ति में दिक्कत हो सकती है.
पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी को आम भाषा में नपुंसकता या नामर्दी कहा जाता है. जब पुरुष के वीर्य में प्रति मिलीलीटर शुक्राणुओं की संख्या डेढ़ करोड़ से कम होती है, तो इसे मेडिकल की भाषा में कम शुक्राणुओं की संख्या यानी लो स्पर्म काउंट कहते हैं.
शुक्राणुओं की कमी के कुछ लक्षण:
1. इरेक्शन न होना
2. सेक्स करने की इच्छा न होना
3. टेस्टिकल एरिया में दर्द या सूजन या उभार जैसा होना
शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए उपाय:
1. योगासन: धनुरासन, अग्निसार क्रिया, सेतुबंधासन, हलासन, और पद्मासन जैसे योगासन करने से शुक्राणुओं की गुणवत्ता और गतिशीलता में सुधार हो सकता है.
2. ज्योतिष के मुताबिक, फिरोजा, हीरा, जर्कन, और गोमेद जैसे रत्न धारण करने से फ़ायदा मिल सकता है. हालांकि, किसी भी रत्न को पहनने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए
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FIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 24:12 IST