तुलसी विवाह का पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाते हैं. कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि को प्रदोष काल में तुलसी विवाह का आयोजन होता है. इसमें वृंदा यानी तुलसी का विवाह शालिग्राम से कराते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह कराने से दांपत्य जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और जिनकी शादी होने में कोई बाधा आ रही होती है, वह दूर हो जाती है, जल्द विवाह का योग बनता है. तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी या फिर उसके अगले दिन होता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि तुलसी विवाह कब है? तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है?
तुलसी विवाह 2024 तारीख
ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी का कहना है कि कार्तिक शुक्ल एकादशी युक्त द्वादशी तिथि के प्रदोष काल में तुलसी विवाह कराना उत्तम माना जाता है. यह शास्त्र अनुसार भी श्रेष्ठ है. पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि का शुभारंभ 12 नवंबर मंगलवार को शाम 4 बजकर 4 मिनट से हो रहा है. इस तिथि का समापन 13 नवंबर बुधवार को दोपहर 1 बजकर 01 मिनट पर हो रहा है.
इस साल तुलसी विवाह का आयोजन 12 नवंबर मंगलवार को देवउठनी एकादशी के दिन होगा क्योंकि उस दिन तुलसी विवाह के लिए एकादशी द्वादशी युक्त प्रदोष मुहूर्त प्राप्त हो रहा है. प्रदोष मुहूर्त सूर्यास्त के बाद से प्रारंभ होता है और यह 13 नवंबर को द्वादशी तिथि में तुलसी विवाह के लिए प्राप्त नहीं हो रहा है.
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तुलसी विवाह 2024 मुहूर्त
12 नवंबर को सूर्यास्त शाम को 5 बजकर 29 मिनट पर होगा. सूर्यास्त होने के बाद जब हल्का अंधेरा होने लगे और आसमान में तारे नजर आने लगें, उस समय प्रदोष मुहूर्त रहेगा. आप उस समय से तुलसी विवाह का आयोजन कर सकते हैं.
प्रदोष काल सूर्यास्त से 3 घड़ी यानी लगभग 2 घंटे 24 मिनट का समय प्रदोष काल होता है. इस आधार पर तुलसी विवाह का मुहूर्त शाम 5:29 बजे से लेकर शाम 7:53 बजे तक है. इस समय में आप विधि विधान से माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से कराएं.
सर्वार्थ सिद्धि योग में तुलसी विवाह 2024
इस साल तुलसी विवाह के दिन 2 शुभ योग बनेंगे. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बनेगा. तुलसी विवाह वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 07:52 बजे से बनेगा, जो 13 नवंबर को सुबह 05:40 बजे तक रहेगा. वहीं रवि योग सुबह 06:42 बजे से सुबह 07:52 बजे तक है.
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इसके अलावा हर्षण योग सुबह से शाम 07:10 बजे तक है, उसके बाद वज्र योग होगा. उस दिन पूर्व भाद्रपद नक्षत्र सुबह 07:52 बजे तक है, फिर उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है, जो अगले दिन सुबह 05:40 बजे तक है.
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह के दिन भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम का विवाह वृंदा यानी तुलसी से होता है. कथा के अनुसार, दैत्यराज जलंधर की पत्नी का नाम वृंदा था, जो एक विष्णु भक्त और पतिव्रता स्त्री थी. उसके तप के कारण जलंधर को हराना मुश्किल था. तब भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण करके वृंंदा के पतिव्रता धर्म को भंग कर दिया, जिसके फलस्वरूप जलंधर मारा गया.
यह बात जानकर वृंदा ने अपना जीवन खत्म कर लिया. उस स्थान पर एक तुलसी का पौधा प्रकट हुआ. भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि तुलसी का विवाह उनके शालिग्राम स्वरूप से होगा और उनकी पूजा में तुलसी के बिना अपूर्ण होगी. इस वजह से विष्णु पूजा में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 11:09 IST