Krarika Nakshatra : इस नक्षत्र में जन्मे लोग बनते हैं सफल चार्टेड एकाउंटेंट या करते हैं सोने चांदी का व्यापार ,जानें इसके उपाय !

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कृत्तिका नक्षत्र : वृभष राशि में कृत्तिका नक्षत्र के अंतिम 3 चरण होते हैं. नक्षत्र स्वामी सूर्य व राशि स्वामी शुक्र है. अवकहड़ा चक्र के अनुसार कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में जन्म होने पर जन्म राशि मेष, राशि स्वामी मंगल तथा शेष 3 चरणों में जन्म होने पर राशि वृषभ तथा राशि स्वामी शुक्र, वर्ण वैश्य, वश्य चतुष्पद, योनि मेढ़ा, महावैर योनि वानर, गण राक्षस है. इस तरह मंगल, सूर्य और शुक्र का जीवनभर प्रभाव रहेगा. कृतिका नक्षत्र का नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है. कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं. इसलिए इस नक्षत्र में जिन लोगों का जन्म होता है, वे काफी तेजस्वी और तेज बुद्धि के स्वामी होते हैं. आइए देखें कृतिका नक्षत्र में पैदा हुए लोगों की क्या खूबियां होती है.

  1. कृतिका नक्षत्र में जन्मे लोग तेजस्वी, बुद्धिमान, और ऊर्जावान होते हैं.
  2. इन लोगों में आत्मसम्मान का भाव बहुत ज़्यादा होता है.
  3. ये लोग रचनात्मक कार्यों में रुचि रखते हैं.
  4. ये लोग किसी भी काम को लगन और मेहनत से करते हैं.
  5. ये लोग टेक्निकल माइंड के होते हैं और अपने काम को कराने के लिए अद्भुत प्रबंधन क्षमता रखते हैं.
  6. ये लोग धन कमाने में माहिर होते हैं.
  7. कृतिका नक्षत्र को ज्योतिषशास्त्र में स्त्री नक्षत्र कहा गया है.
  8. इस नक्षत्र से प्रभावित पुरुषों में स्त्रियों के प्रति अधिक आकर्षण होता है.
  9. कृतिका नक्षत्र का नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है.

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सूर्य द्वारा शासित इस नक्षत्र में चंद्रमा की स्थिति मेष राशि में 26 डिग्री 40 मिनट से लेकर वृषभ राशि में 10 डिग्री तक होती है. इस नक्षत्र में जन्मे लोग ऊर्जावान, साहसी, प्रबल इच्छा शक्ति वाले और नेतृत्व करने वाले होते हैं. इस नक्षत्र का प्रतीक चाकू होता है. इसका स्वामी सूर्य सत्ता, ऊर्जा और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. कृतिका नक्षत्र के चार चरण इस प्रकार हैं.

पहला चरण :  26 डिग्री 40 मिनट मेष से 0 डिग्री वृष तक यह चरण आत्मज्ञान और व्यक्तिगत ऊर्जा से संबंधित है. इस चरण में जन्मे लोग स्वयं की पहचान स्थापित करने की दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ ही आत्मविश्वासी, महत्वाकांक्षी और नेतृत्व करने वाले होते हैं. इनमें कई बार हठ की प्रवृत्ति भी देखी जाती है.

दूसरा चरण : 0 डिग्री वृष से 3 डिग्री 20 मिनट वृष तक चंद्रमा द्वारा शासित दूसरा चरण भावुकता, संवेदनशीलता और शिक्षा से संबंधित है. इस चरण में जन्मे लोग सहानुभूति और मजबूत पारिवारिक तथा सामाजिक संबंध रखने वाले होते हैं. ऐसे व्यक्तियों में कला और संगीत के प्रति सहज ज्ञान होता है. यह लोग कई बार चिड़चिड़े और अति संवेदनशील भी हो जाते हैं.

तीसरा चरण : 3 डिग्री 20 मिनट से 6 डिग्री 40 मिनट वृष राशि तक साहसिक कार्यों और आक्रामक ऊर्जा से संबंधित तीसरा चरण मंगल ग्रह द्वारा शासित है. इसमें जन्मे लोग ऊर्जावान और साहसी होने के कारण खेल और शारीरिक गतिविधियों के प्रति झुकाव रखते हैं. इनमें आवेगी और अधीर होने की प्रवृत्ति भी होती है.

चौथा चरण : कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 06:40 से 10:00 लग्न या चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक शरीर से कोमल और नाजुक हो सकता हैं. आंखें बड़ी और साफ चमक लिए होंगी. सुघड़ नाक, शरीर में भारीपन हो सकता है. सुन्दर एडी व पैर. विचारों में अस्थिरता का भाव झलकेगा. चंचलता अधिक रह सकती है, किसी एक स्थान पर टिक कर न बैठ पाए.

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भरणी नक्षत्र व्यवसाय और संबंधित क्षेत्र : जिन लोगों का जन्म कृतिका नक्षत्र में होता है, उनके लिए बैंकर, क्राकरी व्यापारी, और चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे फ़ाइनेंस से जुड़े काम अच्छे माने जाते हैं. सुनार, लुहार, ढा़बा, रेस्तराँ और तन्दूर चलाने वाले व्यवसाय करने में दिलचस्पी रखते हैं. कपडो़ की रंगाई का काम कांच का काम करने वाले जातक भी इसी नक्षत्र के अन्तर्गत आते हैं. ज्वलनशील पदार्थों का काम, गैस तथा तेजाब आदि से संबंधित कार्य इसी नक्षत्र में आते हैं

उपाय : कृतिका नक्षत्र में जन्मे लोगों को गूलर के पेड़ की सेवा करनी चाहिए

Tags: Astrology

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