सनातन धर्म में क्यों लगाया जाता है तिलक? अधिकतर लोग नहीं जानते वजह, जान लेंगे तो चमकेगी किस्मत !

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Tilak Religious Importance: माथे पर तिलक लगाना हिंदू धर्म की परंपराओं में से एक है. किसी भी शुभ आयोजन की शुरुआत माथे पर तिलक लगाकर ही की जाती है. तिलक का अर्थ है किसी भी शुभ कार्य से पहले मस्तक पर लगाया जाने वाला चिन्ह. तिलक दोनों भौहों के बीच लगाते हैं, जहां आज्ञाचक्र (छठा मूल चक्र) होता है. इसे चेतना केंद्र भी कहते हैं. सही तिलक लगाना ग्रहों की स्थिति को भी मजबूत करता है. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि तिलक लगाने से आप कुंडली में ग्रहों की स्थिति को भी सही कर सकते हैं और उसके दुष्प्रभाव से भी बच सकते हैं.

ज्योतिष में तिलक लगाने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. माथे पर तिलक लगाने से जुड़ी कुछ मान्यता :
1. तिलक लगाना सात्विकता का प्रतीक है.
2. माथे के बीच में इष्ट देव का वास होता है और तिलक लगाने से उनका सम्मान होता है.
3. तिलक लगाने का मतलब है अपने कुलदेवता या इष्ट देव के प्रति श्रद्धा भाव दिखाना.
4. तिलक लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में तरक्की मिलती है.
5. तिलक लगाने से ग्रहों के बुरे प्रभाव से राहत मिलती है.
6. तिलक लगाने से आत्मविश्वास बढ़ता है और ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है.

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हिंदू धर्म में तिलक के कई प्रकार होते हैं:
1. वैष्णव तिलक : भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करने वाले लोग वैष्णव तिलक लगाते हैं. यह तिलक पीले रंग के गोपी चंदन से लगाया जाता है और नाक के बीच से शुरू होकर सिर के बालों वाली जगह तक लगाया जाता है.
2. शैव तिलक : भगवान शिव की पूजा करने वाले लोग शैव तिलक लगाते हैं. इस तिलक में काले या लाल रंग के रोली का इस्तेमाल किया जाता है.
3. ब्रह्म तिलक : यह तिलक विशेष रूप से पुजारी या ब्राह्मण लगाते हैं. साथ ही, जो लोग भगवान ब्रह्मा की पूजा करते हैं, वे भी यह तिलक लगाते हैं. इसमें सफ़ेद रंग की रोली का इस्तेमाल किया जाता है.
4. चंदन का तिलक : चंदन से बना तिलक शांति और तेजस्विता देता है.
5. कुमकुम का तिलक : कुमकुम से लगाया गया तिलक शक्ति का प्रतीक होता है.
6. केसर का तिलक : यह तिलक मंगल कार्यों के लिए और यात्रा से पहले लगाया जाता है.
7. भस्म का तिलक : भस्म लगाने से आत्मिक स्थिति में वृद्धि होती है.

तिलक लगाने का नियम: तिलक हमेशा बैठकर लगाना चाहिए.

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माथे पर तिलक लगाते समय, इस मंत्र का उच्चारण किया जा सकता है:
केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम । पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् । ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।

शरीर के कुछ और हिस्सों पर तिलक लगाते समय, इन मंत्रों का जाप किया जा सकता है:
छाती पर तिलक लगाते समय: ॐ श्री माधवाय नमः का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से शरीर की ऊर्जाओं को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.
उदर पर तिलक लगाते समय:  ॐ श्री नारायणाय नमः का जाप करना चाहिए.

तिलक लगाने से जुड़ी कुछ और बातें:
1. तिलक लगाते समय, सिर पर कोई कपड़ा या अपना हाथ रखना चाहिए. ऐसा करने से मस्तिष्क में सकारात्मक विचार आते हैं.
2.किसी भी व्यक्ति को तिलक पूर्व दिशा की ओर खड़ा करके लगाना चाहिए.
3. परंपरागत रूप से, तिलक दाहिने हाथ की अनामिका (चौथी उंगली) से लगाया जाता है.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Dharma Culture

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