कुंडली के सप्तम भाव में कुछ ग्रहों होने के विपरीत परिणाम भी मिलते हैं. विवाह से पहले गुण मिलान के साथ-साथ ग्रह मिलान भी जरूर करना चाहिए.
Life Partner Prediction By Kundali : ज्योतिष शास्त्र का हमारे जीवन में अत्यधिक महत्व माना जाता है, क्योंकि यहीं आपकी कुंडली से जुड़ी सभी जानकारी मिलती है. वैसे तो जन्म कुंडली में कई भाव होते हैं और इनके माध्यम से आपके जीवन की कई अच्छी और बुरी घटनाओं की जानकारी मिलती है. लेकिन, इनमें सप्तम भाव, जिसे सातवां घर भी कहा जाता है काफी महत्वपूर्ण माना गया है. क्योंकि, इस घर से ही जीवनसाथी की भविष्यवाणी होती है.
भोपाल निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश चौरे के अनुसार, कुंडली के सप्तम भाव में कुछ ग्रहों होने के विपरीत परिणाम भी मिलते हैं. इसलिए कहा जाता है कि, विवाह से पहले गुण मिलान के साथ-साथ ग्रह मिलान भी जरूर करना चाहिए क्योंकि, ग्रहों का सामंजस्य ठीक नहीं होने पर वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. फिलहाल, इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कुंडली के सातवें भाव में शुभ और अशुभ ग्रह के प्रभाव के बारे में.
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-यदि आपकी कुंडली के सप्तम भाव में चंद्रमा क्षीण हो या फिर इस भाव में राहु, शनि की दृष्टि हो तो वैवाहिक जीवन के शुरुआत में ठीक, लेकिन बाद में समस्याओं की भरमार होती है.
– कुंडली के सातवें घर में जब सूर्य पूर्वी गोलार्द्ध में क्षितिज के नीचे आ जाता है. ऐसी स्थिति में जीवनसाथी से झगड़ा और यहां तक कि तलाक तक की स्थिति बन जाती है.
– बुध को नपुंसक ग्रह माना जाता है और इसलिए यदि बुध के साथ पुरुष ग्रह हो तो यह जीवन साथी के बीच संबंध तो स्थापित करने देता है लेकिन सुख के बीच रोड़ा बन जाता है.
– यदि जीवनसाथी की कुंडली के सातवें घर में मांगलिक योग बन रहा हो तो और इस घर में मंगल और शुक्र दोनों हैं तो आपके दांपत्य जीवन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है.
– कुंडली के सप्तम भाव में गुरु की स्थिति से सुखी वैवाहिक जीवन का संकेत मिलता है, लेकिन गुरु, शुक्र से छठे या आठवें भाव में हो तो आपके सुख में हमेशा गिरावट आती है.
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– यदि आपकी कुंडली के सातवें भाव में शनि एवं राहु की उपस्थिति है तो इससे आपके दांपत्य जीवन में बाधा आती है. यहां तक कि शनि और राहु आपके बीच तलाक भी करा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 16:35 IST