Diwali 2024 Festival: सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा को महत्वपूर्ण माना जाता है. यह दिवाली पर्व के 5 दिन चलने वाले पर्वों में से एक है. इस शुभ अवसर पर गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण का चित्र बनाया जाता है, जिनकी शुभ मुहूर्त के दौरान विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही प्रभु के प्रिय भोग अर्पित किए जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से साधक को सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. साथ ही जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए दान भी किया जाता है. अब सवाल है कि साल 2024 में जब दिवाली 31 अक्टूबर को है तो गोवर्धन पूजा कब? इस बार दिवाली का पर्व लगातार 6 दिन कैसे? इस बारे में News18 को बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिर्विद एवं वास्तु विशेषज्ञ ऋषिकांत मिश्र शास्त्री.
…इसलिए दीपोत्सव 6 दिन का
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, भारत में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्योहार लगातार 5 दिन चलता है. हालांकि, तिथि में उतार-चढ़ाव के चलते इस बार यह त्योहार 6 तक चलेगा. इस बार गोवर्धन पूजा जहां 02 अक्टूबर 2024 को है, वहीं भैया दूज रविवार 03 नवंबर को मनाया जाएगा. इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की दोपहर से शुरू हो रही है. वहीं यह तिथि से 1 नवंबर शाम तक रहने वाली है. ऐसे में कार्तिक अमावस्या दो दिन यानी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर तक रहेगी. जिस कारण इस बार दीपोत्सव 06 दिनों तक मनाया जाएगा.
कब मनाया जाएगा गोवर्धन 2024
इस बार गोवर्धन शनिवार, 02 नवंबर को मनाया जाएगा, क्योंकि कार्तिक अमावस्या 01 नवंबर तक रहने वाली है. वहीं गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है. ऐसे में प्रतिपदा तिथि 01 नवम्बर को शाम 06 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है. वहीं, इस तिथि का समापन 02 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, गोवर्धन का पर्व शनिवार, 02 नवंबर को मनाना अधिक शुभ माना जा रहा है.
गोवर्धन पूजा 2024 का मुहूर्त
प्रातःकाल मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 40 मिनट से 09 बजकर 46 मिनट तक.
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से लेकर 02 बजकर 56 मिनट तक.
संध्याकाल मुहूर्त – दोपहर 03 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 34 मिनट तक.
ऐसे हुई गोवर्धन पूजा की शुरुआत
पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था. जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों के बचाव के लिए अपनी तर्जनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत पर उठा लिया था. इसके बाद सभी ब्रजवासी अपने जानवरों को लेकर पर्वत के नीचे आ गए, जिससे उनका इंद्रदेव के क्रोध से बचाव हुआ. इसके बाद ब्रजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की और भोग अर्पित किए. तभी से हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है.
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Tags: Dharma Aastha, Diwali festival, Religion
FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 14:44 IST